रविवार, जनवरी 10, 2010

इंतज़ार रोटी का....

बात गरीबी की नहीं

भूख की है

आज उनकी आंखों में

केवल आंसू हैं....

कभी अनवरत बहते

कभी सूख जाते आंसू

केवल वो नहीं

उनके चूल्ह भी रोते हैं

दो रोटियों के मोहताज

ढेरों चूल्हे

इंतज़ार में हैं

कुछ दानों के

जो भूख की तड़प को

मिटा सकें

और पोछ सकें

उनकी आंखों के आंसू

पर....

कौन सहारा बने

किसी की भरी तिजोरियां !

और कहीं कोई खाली पेट

सबको अपनी फ़िक्र

नहीं किसी और की

या
किसी के चूल्हे की

अपनी
सुखद रातों की

सबको
है चिंता...

कौन
जुटाए

उनके
लिए दाने

ताकि
बन सके

इंतज़ार
करते

चूल्हों
पर रोटी.....

शनिवार, जनवरी 09, 2010

इश्क़ के सौ राज़

इश्क़ के सौ राज़
और हर राज़ में तेरी बात
वो हर बात वो हर याद
तुम्हारी चाहत के....
पन्ने टटोलते लफ़्ज़
और उन लफ़्ज़ों में एक कहानी
कहानी हमारी-तुम्हारी
तब तुम थे हम थे
और थी वो फ़िज़ा
वो फ़िज़ा जो बस थी...
हमारे तुम्हारे लिए
आज भी आता है
वैसा मौसम...
और दिल करता है
कि उन यादों में खो जाऊं
याद कर लूं उन लम्हों को
जो जिए तुम्हारे साथ
सच...वो सुनहरी यादें