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सांस थमती सी
फिर ज़िंदगी अंधेरा
तुम कहां हो
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रात की चादर में लिपटी
मेरी तन्हाई
तेरे इंतज़ार में
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तुम्हारी हंसी
फूल की तरह
सबसे सुखद
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घड़ी की टिक-टिक
इंतज़ार
कब आओगे
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एहसास
पुरानी यादों के
आज भी ज़िंदा
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सांस थमती सी
फिर ज़िंदगी अंधेरा
तुम कहां हो
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रात की चादर में लिपटी
मेरी तन्हाई
तेरे इंतज़ार में
#
तुम्हारी हंसी
फूल की तरह
सबसे सुखद
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घड़ी की टिक-टिक
इंतज़ार
कब आओगे
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एहसास
पुरानी यादों के
आज भी ज़िंदा
यादों की कतरनों से ज़िंदगी को जोड़ रहा हूं
मुसाफ़िर हूं यारों हर कदम बढ़ रहा हूं
खट्टी-मीठी यादों के पिटारे को खोलकर
पुराने रंगों के साथ कुछ नए रंग घोल रहा हूं
कैसे अल्फ़ाजों को समेटकर लिखूं ये कहानी
कि हूबहू हक़ीकत की क़िताब है बनानी
खुशी और ग़म की इस इबारत का
हर पहलू लिख रहा हूं
अभी पांव पर लगे कांटों के ज़ख़्म हरे हैं
कि इन पर मरहम की कोशिश कर रहा हूं
लेकिन दिल के ज़ख़्मों की दवा नहीं मिली
इस पर भी कुछ नया लिख रहा हूं
दायरे तोड़ने की आदत सी हो गई है
कि अब इन दायरों को ख़तम कर रहा हूं
समेटने को शायद कुछ भी न बचे आख़ीर में
इसलिए मुठ्ठी खोलकर आजकल सो रहा हूं
मां के दिलासे हरदम देते थे हिम्मत
कि अब उन्हीं दिलासों से हिम्मत बटोर रहा हूं
फ़ुरसत मिलती है जब, थोड़ा ठहरकर
फिर आगे बढ़ने की ताक़त बटोर रहा हूं
ज़िंदगी के किसी मोड़ पर
न कोई भरम रहे
तमन्नाओं पर जीत के लिए
हौसलें हावी रहें
कि अभी वक्त का तकाजा है
पसीना बहा लो
खूबसूरत कल की
मूरत बना लो
ख्वाबों के संग तुम्हारी जंग में
जीत ज़रूर होगी
वक्त से तुम आगे होगे
पीछे दुनिया होगी
अब देर न करो
जुट जाओ इसी हाल
फौलादी इरादों की
उठा लो मशाल
ज़िंदगी के इस मोड़ पर भी
न ठहर पाउंगा
मुझे पता है
मैं वक्त तो नहीं
पर गुजर जाउंगा
कभी जो मुलाक़ात हो जाए
किसी मोड़ पर
मिल के चंद पल
फिर निकल जाउंगा....