शुक्रवार, दिसंबर 11, 2009

कुछ हाइकू....

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सांस थमती सी

फिर ज़िंदगी अंधेरा

तुम कहां हो



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रात की चादर में लिपटी

मेरी तन्हाई

तेरे इंतज़ार में



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तुम्हारी हंसी

फूल की तरह

सबसे सुखद



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घड़ी की टिक-टिक

इंतज़ार

कब आओगे



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एहसास

पुरानी यादों के

आज भी ज़िंदा




रविवार, दिसंबर 06, 2009

तूफां यहां...

तूफां यहां किस कदर
ढूंढते हैं हमारा घर किधर
सोचते हैं इन लहरों को
अब पार कर जाएं
मंज़िलों का ना कोई
रास्ता इधर..........