कुछ तेरी...कुछ मेरी
शनिवार, नवंबर 28, 2009
मेरे आशियां में....
मेरे
आशियां
में
सपनों
के
कुछ
पौधे
लगे
हैं
कोशिश
है
इन्हें
दरख़्त
बना
दूं
पल
-
पल
जवां
हो
रही
डालियों
के
साथ
उम्मीदें
भी
जवां
हो
रहीं
नज़र
ना
लग
जाए
किसी
की
इन्हें
सोचता
हूं
खिड़कियों
पे
पर्दे
लगा
लूं
1 टिप्पणी:
बेनामी ने कहा…
सर पर्दे लगाने की
कोई ज़रूरत नहीं है..
लोगों को देखने दो
और जलने दो..
नवंबर 28, 2009 4:32 pm
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सर पर्दे लगाने की
कोई ज़रूरत नहीं है..
लोगों को देखने दो
और जलने दो..
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