देश की जनता एक बार फिर महंगाई के
बोझ तले दब गई है। यूपीए-2 सरकार ने महंगाई
के कोड़े से आम जनता को फिर लहूलुहान कर दिया है। पेट्रोल के दाम में साढ़े सात
रुपए की बढ़ोतरी ने जैसे जनता की जेब पर साढ़े साती लगा दी है। दरअसल इसे सरकार की
मजबूरी कहें या फिर महंगाई के बोझ तले दबी आम जनता की रीढ़ की रूठी किस्मत...
दोनों ही सूरतों में पेट्रोल बम फूटने से जेब जख्मी है.. दाम बढ़े तो हाहाकार भी
मच गया.. जनता और विपक्ष दोनों ने केंद्र पर आरोपों की झड़ी लगा दी.. सहयोगी
पार्टियां भी खफा हैं.. लेकिन शायद लाचार भी.. यूपीए-2 की तीसरी सालगिरह पर सरकार ने कई मोर्चों पर खुद को बेहतर साबित करने की
कोशिश की.. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी बात की.. महंगाई को काबू में
करने के वादे किए.. लेकिन हुआ ये कि अगले ही दिन पेट्रोल बम फोड़ दिया... जैसे
तीसरी सालगिरह का भारी-भरकम तोहफा खुद जनता से मांग लिया हो.. वो सालगिरह पर डिनर
करते हैं.. लेकिन आम जनता की थाली में छेद होते जा रहे हैं.. जेब ये सोचने पर
मजबूर हो गई है... कि गाड़ी चलाएं या फिर एक साइकिल ले लें। शहरों में केवल 32 रुपए और गांवों में केवल 26 रुपए गरीबी की सीमा रेखा तय करने वाली सरकार को आम जनता के उन सवालों के
जवाब तो देने ही होंगे जिनसे वो कदम-कदम पर जूझ रही है।
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